Kundalini Diksha
कुंडलिनी दीक्षा
हमारे ऋषियों ने गहरे शोध के बाद इस सिद्धान्त को स्वीकार किया कि जो ब्रह्माण्ड में है, वही सब कुछ पिण्ड (शरीर) में है। इस प्रकार मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र तक का जगत माया का और आज्ञा चक्र से लेकर सहस्त्रार तक का जगत परब्रह्म का माना जाता है. कुंडलिनी दीक्षा हमारे अंदर के अध्यात्मिक रुकावटो को दूर करने का कार्य करती है. कुंडलिनी मंत्र के कंपन को को पूरे शरीर मे पहुचाती है. जिससे मनुष्य को चक्रो का भेदन करना आसान होने लगता है.
कुंडलिनी साधना सामग्री
- कुंडलिनी यंत्र
- कुंडलिनी माला
- कुंडलिनी पारद गुटिका
- सिद्ध आसन
- रक्षासूत्र
- कुंडलिनी श्रंगार
- कुंडलिनी मंत्र
- कुंडलिनी साधना विधि
कुंडलिनी साधना सामग्री मुहुर्थ
- दिनः सोमवार, शुक्ल पक्ष की षष्ठी,
- समयः सुबह ४ से सुबह ९ बजे तक
- साधना अवधिः ११/२१ दिन
- साधना मंत्रः रोज २१ माला
- साधना स्थानः पूजा घर या कोई भी शांत कमरा
- दिशा- पूर्व
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